कौन?
कौन
बता कौन इतना टूटकर चाहता
है तुझे,
उससे मैं भी , जरा मिल
तो लूं,,
क्या सचमुच बसा रखा है
, उसने तुझे अपने दिल में,
उसके सीने में तेरी धड़कन
जरा सुन तो लूं,,
डर है ना तुमको दे वो सितम
जिंदगी में,
वादे वफ़ा के उससे कुछ कर
तो लूं,,
लग जाये तुझे भी ये मेरी
उमरिया,
मालिक-ए-दुनिया से दुआ
कर तो लूं,,
बीत जाए तेरी ये ज़िन्दगी
हद खुशामत,
अपनी ही सिसकियों से आह
भर तो लूं,,
भूलकर भी तुझे याद सताए
ना ‘साहनी’ की,
सौदा-ए-दवा की ऐसी कोई
कर तो लूं,,
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