मेरी वफ़ा खुदा गवाह है मेरे नज़रबानों का, कि दिल ने तेरे सिवा इबादत नहीं की , तु समझती है शायद लफंगों में मुझको , भूले वादों से मैंने शरारत नहीं की , , तेरी नज़रों का धोखा ही है तेरे सिर पे , इश्क ने मेरे दिल को इजाजत नहीं दी , , ये रास्ते के वास्ते होते बहुत कठिन हैं , दो राहे प्यार ने हिफाज़त नहीं की , , इन बाज़ुओं में देके दुनिया के ये झमेले , तेरे प्रेम ने भी मेरी वकालत नहीं की , , जानकर गरीब मुझको तूने ठुकरा दिया जो , तेरे दिल से मेरे दिल ने शिकायत नहीं की , , वक़्त बेवफा था कि तू बेवफा थी , ये समझने में मेरी गलफ़त कहाँ थी , , फक्र है मुझे तुझ पर दर्द देने में मुझको , जहर देने में तेरी इनायत कहाँ थी , , ‘साहनी ’ बीच नदिया अकेले जो गम के , ख़ुशी देने को तुझमें किफ़ायत कहाँ थी , ,