मंजिल


मंजिल

 


मैं दूर जा रहा था, वो पास आ रही थी,,

दिल दे रहे थे आँसू, वो आग जल रही थी,,

घर तो मेरा भी छोड़ के, बरसात हो रही थी,,

फिसल रहा था दिल यूँ, अब साँस रुक रही थी,,

दुनिया वीरान होके, मुझे डरा रही थी,,

बह रहे थे वो सागर, लगाये आस उनकी,,

‘साहनी को ये दुनिया, भुलाये जा रही थी,


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