हकीकत
हकीकत मैं तो मिट्टी हूँ 'साहनी',मिट्टी में मिल जाऊँगा, शायद तेरे जलवों की कोई कहानी रह जाए,, मेरे गुजरे अतीत की शायद,कोई निशानी रह जाए, मैं तो मिट्टी हूँ............ गर रहूँ ना मैं शायद कल को,जीवन का भरोसा क्या करना, डर है कि आएगा सावन,तेरी आंखों में ना पानी रह जाए, मैं तो मिट्टी हूँ............