मेरे महबूब
मेरे महबूब
सर पे बाँधा है जो मैंने,वो एहराम आखिरी है,,
बस आप ही मेरे दिल का,अरमान आखिरी हैं,,
आप ही मेरा मंदिर,आप ही मेरी मस्जिद,
मेरी इबादतों का आप ही कलाम आखिरी हैं,,
जुड़ी है डोर आप से पतंग-ए-मेरे दिल की,
आप ही तो मेरे जीवन की शाम आखिरी हैं,,
रूठें गर आप,रूठ जाऊँ मैं इस दुनिया से,
थिरकने वाली मेरे लवों की,आप मुस्कान आखिरी हैं,,
आपकी जुदाई से मिले मुझे,सातों जन्मों के गम,
मेरी धड़कन की आप ही परान आखिरी हैं,,
'साहनी' हुए दीवाना,देख आपकी सादगी को,
मेरी वफाओं का बस आप ही कदरदान आखिरी हैं,,
Oh god awasome
ReplyDelete