आँसू

   आँसू

  आँसुओं का जिक्र हमें क्या है करना?,
हम तो आँसू बहाते ही चले आए,,
मोहब्बत की लड़ियाँ सजाए थे जब-जब,
हमें वो इस जहाँ से मिटाते ही चले आए,,
नाम उनका सजाकर हम अपने लवों पर,
साजों में छुपी सरगम के जैसे गुनगुनाए,,
तीर हमने चलाना जिनको सिखाया,
उन्होंने ही हम पर निशाने लगाए,,
लगाए जो फूल हमने खुशियों के इस चमन में,
हर बार वो बेरहमी खिजा बनके आए,,
'साहनी' दिल में दर्द है उनके नज़र-ए-अन्दाज का,
धड़कनें थम रही हैं पेन-किलर क्या लगाएँ,,

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