एहसास



एहसास

 


यह हँसी अपनी नहीं,

कुछ बेगानी सी लगती है,,

यह धड़कन मालूम नहीं,

कुछ पुरानी सी लगती है,,

यह सांसे हमदम नहीं,

कुछ अनजानी सी लगती हैं,,

हम तो सब कुछ लुट चुके हैं ‘साहनी’ उनके प्यार में,

अब तो ज़िन्दगी भी इक परेशानी सी लगती है,,


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