नकली मुस्कराहट
नकली मुस्कराहट
दिल में दर्द है लवों ने
मुस्कुराया है,
दिल लगाके तुझसे मैंने
अपना मुकद्दर सुलाया है,,
तेरे लवों की हँसी ने जो
गम दिए हैं मुझको,
यादों की तेरी महफ़िल इसी
दिल में बसाया है,,
न जाने कब वो खुदा रहम
मुझ पर करेगा,
तुझे रोशनी की खातिर घर
अपना जलाया है,,
खिले गुलशन से तेरे अरमां
पे गम की धूप न पड़े,
तेरे जीवन में हमेशा बहारों
को बुलाया है,,
चहरे पे हँसी तो रहती ही
है ’साहनी’,
क्या घायल दिल भी आँखों
से नज़र आया है?,,
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