रहि-रहि के


रहि-रहि के

 


काॅहें रहि-रहि के ई अगिया लगावल करेलू,

जानि बुझिके तू काहें जरावल करेलू,,

का हमार दिल तुहरे प्यार के लायक नैईखे,

काहें अईसे तड़पाके मुआवल करेलू ,,

ले ला हंसी के तु जनवां हमर ई कसम बा,

झूठ के काहें चरखा चलावल करेलू ,,

तुहारे अँखियाँ के कज़रा त बहकईबे करेला,

काहें मारि-मारि मुस्की मुआवल करेलू,,

तुहारे देहियाँ के खुशबू से बहक जाला मनवा,

काहें ओ सिधुआ बेचारा के पगलावल करेलू,,

तोहरे बोलिया से खार भईल कोयलिया के बोली,

काहें बोलि-बोलि जियरा लुभावल करेलू,,

भोरे पिपरा के तरे सांझें अमवां के नीचे,

काहें चहकत चिरईया उड़ावल करेलू,,

दिल-ए-नाज़ुक गंवारा सितम ‘साहनी के,

काहें दे के तू असरा खिझावल करेलू,,

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