मेरी वफ़ा


मेरी वफ़ा

  

खुदा गवाह है मेरे नज़रबानों का,

कि दिल ने तेरे सिवा इबादत नहीं की,

तु समझती है शायद लफंगों में मुझको,

भूले वादों से मैंने शरारत नहीं की,,

तेरी नज़रों का धोखा ही है तेरे सिर पे,

इश्क ने मेरे दिल को इजाजत नहीं दी,,

ये रास्ते के वास्ते होते बहुत कठिन हैं,

दो राहे प्यार ने हिफाज़त नहीं की,,

इन बाज़ुओं में देके दुनिया के ये झमेले,

तेरे प्रेम ने भी मेरी वकालत नहीं की,,

जानकर गरीब मुझको तूने ठुकरा दिया जो,

तेरे दिल से मेरे दिल ने शिकायत नहीं की,,

वक़्त बेवफा था कि तू बेवफा थी,

ये समझने में मेरी गलफ़त कहाँ थी,,

फक्र है मुझे तुझ पर दर्द देने में मुझको,

जहर देने में तेरी इनायत कहाँ थी,,

‘साहनी बीच नदिया अकेले जो गम के,

ख़ुशी देने को तुझमें किफ़ायत कहाँ थी,,

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