जरुरत
जरुरत
मेरा बाग़ सजाने के लिए,
इस फिज़ा की जरुरत नहीं,,
तेरी आहट बताने के लिए बताने के लिए,
मुझे इन चश्मानों की कोई जरुरत नहीं,,
आज मैं भी जो होता करीब अपने मंजिल के,
तो सर छुपाने को तेरी जरुरत नहीं,,
जान जाती जो तू उस खुदा की निगाहें ,
पैर अपने इस पथ से डगमगाने की जरूरत नहीं,,
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