सिलसिला

                                                                         सिलसिला
तेरी यादों का सिलसिला ना जाने कब तक चलेगा,
ना जाने कब तक मेरा दिल घूँट-घूँट के मरेगा,,
दोस्त बनके सफर में वफा तूने ना की,
ना जाने कब तक वो तारा रोशनी से कहेगा,,
सजा ले मेहँदी हाथों की ऐ अपने वो बुझदिल,
ना जाने कब तक ये मेरा खून जो बहेगा,,
खत्म होती नहीं तेरे इंतज़ारों की घड़ियां,
ना जाने कब तक तेरा नाम धड़कन में रहेगा,,
आँखों ने भी तो नजरें बिछायी हैं पथ पर, कि
शायद अब भी वो चैन,सकूँ वापस चलेगा,,
बेवसी है हमारी जो मरते हैं तुझ पर,
भूल गए हम लहू का भी दो रंग सजेगा,,
कुर्बानी दिल ने जो दी है जिंदगी की,
तेरा ही समय तुझ से हर बार यह कहेगा,,
जो दर्द 'साहनी' को तूने दी है दोस्ती में,
ना जाने कब तक बेचारा तड़पता रहेगा,,


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